परम विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों में से एक श्री श्री परमहंस योगानंदजी द्वारा दी गई शिक्षाएँ तथा कालजयी विचार धर्म, दर्शन, विज्ञान, मनोविज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्रों के लिए समान रूप से सार्थक और स्तुत्य हैं। उन्होंने विदेशों में क्रिया, योग, विज्ञान तथा अध्यात्म के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय योगदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता । \n\nपूज्य परमहंस योगानंद ने 'योगदा सत्संग सोसाइटी' तथा 'सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप' नामक संस्थाओं की स्थापना की। ये संस्थाएँ अपने जगद्गुरु के संदेशों तथा विचारों को मौलिक व प्रामाणिक रूप में पूरे विश्व में प्रचारित करने के लिए कटिबद्ध हैं । इस पुस्तक को तैयार करने में स्वामीजी की इन्हीं संस्थाओं से प्रकाशित पुस्तकों से मदद ली गई है - विशेष रूप से पूज्य स्वामीजी द्वारा लिखित 'योगी कथामृत' से। इस पुस्तक में स्वामी योगानंदजी के विचारों को ही मूर्त रूप प्रदान किया गया I \n\nत्याग, तपस्या, संयम, योग, अध्यात्म से अनुप्राणित पूज्य स्वामी परमहंस योगानंद का अद्भुत चरित्र-चित्रण, जो सामान्य जन को प्रेरित करेगा और एक आदर्श मानव बनने कामार्ग प्रशस्त करेगा।
रचना भोला 'यामिनी' पिछले इक्कीस वर्षों से मौलिक लेखन व अनुवाद के क्षेत्र में कार्यरत हैं। मौलिक लेखन में जीवनियाँ, साहित्य, धर्म, पत्रकारिता, समाज, अध्यात्म, सामान्य ज्ञान, साहित्य, महिलोपयोगी, बाल साहित्य, पेरेंटिंग आदि विविध विषयों पर 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित जिनमें लघुकथा संग्रह 'प्रयास' तथा द्रौपदी पर आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास ' याज्ञसेनी', हिंदी पत्रकारिता : उद्भव और विकास, भारत-रत्न सम्मानित विभूतियाँ, कैसे बनाएँ बच्चों का भविष्य उज्ज् वल, भक्तजननी माँ शारदा, भगिनी निवेदिता, रैदास वाणी, अमीर खुसरो, बुल्ले शाह, मेजर ध्यानचंद, गृहिणी : एक सुपर वूमैन, शिरडी के साईं आदि उल्लेखनीय हैं। वे राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध लेखकों की लगभग 100 से अधिक कृतियों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर चुकी हैं। लेखन व पठन-पाठन के अतिरिक्त वे पर्यटन, संगीत की विविध विधाओं, विश्वस्तरीय सिनेमा व लोक परंपराओं के अध्ययन में विशेष रुचि रखती हैं।
Rachna Bhola ‘Yamini’Add a review
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