रहीम - रहीम अकबर के पिता हुमायूँ के जाँबाज़ सेनापति बैरम ख़ाँ के बेटे थे। वह सत्ता के लिए निरन्तर साज़िशों और लड़ाइयों के कारण भारी उथल-पुथल का दौर था और रहीम का बचपन इन्हीं साज़िशों और उथल-पुथल के बीच अपने पिता की हत्या के बाद अकबर के संरक्षण में बीता था। एक जाँबाज़ योद्धा और उदार बादशाह के संरक्षण में पले-बढ़े रहीम का व्यक्तित्व भी लगभग वैसा ही बन गया था। वे अपने युद्धकौशल के कारण तो मशहूर थे ही, अपनी हाज़िर-जवाबी और दानशीलता के कारण भी उतने ही विख्यात थे। जो सेनापति लड़ाई जीतने के बाद अपने सैनिकों के बीच अपनी सारी दौलत, यहाँ तक कि अपना क़लमदान भी दान में दे सकता है या किसी कवि को उसकी दो पंक्तियों के लिए लाखों रुपये दान में दे सकता है, उसकी उदारता और कलाप्रियता प्रसिद्ध है।
अशोक कुमार - बिहार में 1974 के जन आन्दोलन की पत्रिका 'तरुण क्रान्ति' और 'समग्रता' में पत्रकारिता का प्रारम्भिक पाठ पढ़ने के बाद दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता का डिप्लोमा। पत्रिका 'धर्मयुग', दैनिक ‘जनसत्ता', पत्रिका 'इंडिया टुडे हिन्दी', 'इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी' और 'शुक्रवार' के सम्पादक मण्डल में उपसम्पादक से लेकर डिप्टी एडिटर तक विभिन्न पदों पर काम करने के बाद सम्प्रति गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान से जुड़ाव। क़रीब आधा दर्जन महत्त्वपूर्ण अंग्रेज़ी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद और सम्पादन।
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